मश्कूर अहमद उस्मानी सिंबल बन चुके हैं

संजय श्रेष्ठ

जाले विधान सभा क्षेत्र से कांग्रेस के उम्मीदवार मश्कूर अहमद उस्मानी चुनाव में जीतते हैं या हार जाते हैं, अब इसका बहुत ज्यादा महत्व नहीं रह गया है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि मश्कूर अहमद उस्मानी एक सिंबल बन गए हैं। इसका अहसास मश्कूर अहमद उस्मानी को है या नहीं, या अहसास होने के बाद वे इसके महत्व का संरक्षण करते हैं या नहीं वह भी अब कोई मुद्दा नहीं रह गया है। असल मुद्दा यह है कि क्या पाकिस्तान और जिन्नाह के नाम पर भारत में चुनाव लड़ने का सिलसिला यूं ही जारी रहेगा, और यहां की जनता बस तमाशबीन हो कर रह जाएगी।

टिकट के लिए दाव पेंच

17 अक्टूबर को रात में पटना से दरभंगा वापस होते हुए मश्कूर अहमद उस्मानी

कांग्रेस इस बार बिहार में 70 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। इन सभी सीटों पर उसे अपने उम्मीदवारों का चयन करना था। टिकट के लिए मारा मारी करने वालों ने अपने सभी दाव पेंच आज़माए। चुनाव लड़ने के इच्छुक एक कार्यालय से दूसरे कार्यालय, एक नेता से दूसरे नेता तक अपनी पहुंच बनाते रहे। किसी किसी को तुक्के में टिकट मिल गया, किसी को बहुत मेहनत करनी पड़ी तो किसी को बुला कर, खुशामद कर के अपनी पार्टी का उम्मीदवार बनाया गया।

जदयू कार्यालय से मौर्य होटल तक

जदयू कार्यालय में टिकट लेने की आस में मश्कूर अहमद उस्मानी

मश्कूर अहमद उस्मानी भी दूसरे दावेदारों की तरह टिकट के लिए जदयू कार्यालय के साथ ही कई अन्य जगहों पर गए। इसके सबूत के तौर पर जदयू कार्यालय में खड़े मश्कूर अहमद उस्मानी की एक तस्वीर सोशल मीडिया पर वारयरल हो रही है। तस्वीर पीछे से ली गई है। इससे साफ जाहिर हो रहा है कि मश्कूर अहमद उस्मानी वैचारिक रूप से किसी विचार विशेष से कम से कम टिकट लेने की कोशिशों तक नहीं बंधे थे। लेकिन अब हालात बदल गए हैं। मश्कूर अहमद उस्मानी को टिकट भी मिल गया है और उन्हें टिकट दिए जाने का बहुत ही जाने पहचाने अंदाज में विरोध भी हो रहा है। वैसे विरोध करने वालों में कुछ ऐसे लोग भी हैं जिन्हें मश्कूर से कम और कांग्रेस की आइडेंटिकल और परसेप्शन वाली राजनीति से दिक्कत है। ऐसे लोगों का मानना है कि कांग्रेस अपनी नैया पार लगाने के लिए फिर मुसलमानों ही को बली का बकरा बना रही है।

कांग्रेस के अंदर से विरोध

  1. कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डाॅ मदन मोहन झा से सिंबल लेते हुए मश्कूर अहमद उस्मानी। साथ में पार्टी प्रवक्ता राजेश राठौर

मश्कूर अहमद उस्मानी को दरभंगा जिला स्थित जाले विधान सभा क्षेत्र से कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार बनाने का जैसे ही एलान किया, वहां से टिकट के उम्मीदवार पूर्व विधायक ऋषि मिश्रा का गुस्सा छलक कर ऐसे बाहर आया कि उसके साथ बहुत कुछ ऐसी भी बाहर आ गईं जिसकी कल्पना वह टिकट मिलने की स्थिति में नहीं कर सकते थे।

जिन्नावादी

कांग्रेस ने मश्कूर को टिकट दिया और मश्कूर पलक झपकते जिन्नावादी हो गए। इसका एलान मश्कूर ने नहीं बल्कि जाले से चुनाव लड़ने के लिए जदयू से कांग्रेस में आए ऋषि मिश्रा ने किया। उन्होंने अपने फेसबुक पेज पर लिखा:

आज मैं आप लोगों के सामने बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण मुद्दे पर बात करने के लिए आया हूँ।

कल मेरी पार्टी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने मेरे जाले विधानसभा क्षेत्र से अपने उम्मीदवार की घोषणा की है।

मैं अपने कार्य और जनता के लिए प्रतिबद्धता को समझते हुए यह उम्मीद कर रहा था कि जाले की जनता की सेवा के लिए पार्टी मुझपर भरोसा दिखाएगी, किन्तु ऐसा नहीं हुआ।

मुझे कल से हज़ारों कार्यकर्ताओं के फ़ोन आ रहे हैं और कई संदेश मिल रहे हैं, सारे कार्यकर्ता आज खुद को ठगा हुआ और अपमानित महसूस कर रहे हैं।

मुझे टिकट नहीं मिलने का इतना दुख नहीं है जितना इस बात का दुःख है कि पार्टी ने जिसे कांग्रेस की ओर से जाले का उम्मीदवार बनाया है वह वैचारिक और मूल रूप से एक जिन्नाहवादी सोच का समर्थक है।

कांग्रेस पार्टी, मैं और हमारे परिवार ने हमेशा गाँधीवादी विचारधारा को माना है और निरंतर उनके विचारों को अपने जीवन में अमल करने का कार्य किया है। बिहार, मिथिला और जाले की जनता भी गांधीवादी संस्कार रखती है। यहाँ एक सामाजिक समरसता और संस्कार हमेशा से बना रहा है और ऐसे पवित्र धरती पर एक जिन्नाहवादी को टिकट देना हमारे संस्कार और समाज का अपमान है।

हमारे नेता डॉक्टर मदन मोहन झा जी ने एक गाँधीवादी पार्टी का टिकट एक जिन्नाहवादी को क्यों दिया?

आज जाले और पूरे बिहार की जनता यह जानना चाहती है। कांग्रेस जाले के किसी भी कार्यकर्ता को टिकट देती तो मैं खुले हृदय से इसका पूर्णतः समर्थन करता लेकिन जिन्नाह के नाम पर तो इस देश की जनता ने आदरणीय लाल कृष्णा अडवाणी जी को भी माफ़ नहीं किया था बावजूद इसके कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष मदन मोहन झा जी ने एक जिन्नाह्ववादी विचारधारा के व्यक्ति को अपनी पार्टी से जाले का उम्मीदवार बनाया।

मुझे पूरा भरोसा है कि कांग्रेस के सभी ६९ उम्मीदवार गाँधीवादी विचार के साथ खड़े मिलेंगे लेकिन उसके बाद भी पार्टी की तरफ से ऐसा निर्णय दुर्भाग्यपूर्ण है और कड़ी भर्त्सना का पात्र है।

मैं पार्टी आला कमान से आदरपूर्वक निवेदन करता हूँ कि इस पर विचार कर जाले की जनता के लिए हमारे पार्टी का टिकट एक जिन्नाहवादी को नहीं बल्कि किसी भी गाँधीवादी कांग्रेस कार्यकर्ता को दिया जाए।

यह गाँधी का देश है और गाँधी का कांग्रेस है।

जय हिन्द।

 

(Facebook/Rishi Mishra)

 

ऋषि मिश्रा के कई समर्थकों ने मान लिया

जाले से जदयू के पूर्व विधायक ऋषि मिश्रा दिन के उजाले में दिन को दिन कहते तो शायद उनके समर्थक इतनी जल्दी नहीं मानते जितनी जल्दी उन्होंने ये मान लिया कि मश्कूर अहमद उस्मानी जिन्नावादी है। ऋषि मिश्रा के बयान का जब सोशल मीडिया पर एक व्यक्ति ने विरोध किया और कहा कि उनको ऐसा नहीं लिखना चाहिए तो बिना देर किए एक साहब न केवल मैदान में कूद पड़े बलिक यह भी कह दिया कि किया एक टेररिस्ट को टिकट दे दिया जाए, और लोग खामोश रहें।

गिरिराज सिंह उतरे मैदान में

Giriraj Singh

बेगूसराय से भाजपा सांसद और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने मश्कूर अहमद उस्मानी पर आरोप लगाने में अपना पूरा इतिहास झोंक दिया। उन्होंने मश्कूर अहमद उस्मानी को केवल जिन्ना समर्थक नहीं कहा बल्कि देशविरोधी और देश को तोड़ने वाला भी कह दिया। गिरिराज सिंह भाजपा में हैं और जाहिर है भाजपा नेता के मुंह पर कौन लगाम लगा सकता है? उन्होंने कांग्रेस, राजद और पूरे महागठबंधन से पूछा है कि क्या वो जिन्ना समर्थक और देश तोड़ने वाले का साथ देंगे? अब गिरिराज सिंह से कौन पूछेगा कि मश्कूर अहमद उस्मानी जिन्ना समर्थक और देश विरोधी कैसे हो गया।

नव भारत टाइम्स

सवाल पूछने का काम जनता और मीडिया का है। नव भारत टाइम्स के पत्रकार ने भी केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह से मश्कूर अहमद उस्मानी को जाले से उम्मीदवार बनाए जाने पर सवाल पूछा है। पत्रकार महोदय गिरिराज सिंह से सवाल पूछने से पहले यह बताते हैं कि बिहार में विकास के मुद्दे पर चुनाव लड़ी जा रही थी (लड़ा जा रहा था) लेकिन कांग्रेस ने जाले से एक ऐसे व्यक्ति को टिकट दिया है जिसके बाद राजनीति गर्म हो गई है। कांग्रेस ने जाले से एएमयू के अहमद उस्मानी को टिकट दिया है जिसके घर से दफ्तर से जिन्ना की तस्वीर निकली थी। ये सब कहने के बाद वो गिरिराज सिंह को भाजपा का फायरब्रांड नेता कहते हैं और उनकी राय पूछते हैं। आगे इससे भी अधिक नंगा और भ्रामक सवाल है।

विरोध और समर्थन

मिथिलांचल से सम्बंध रखने वाले तारिक इकबाल ने मश्कूर अहमद उस्मानी को जाले से कांग्रेस का प्रत्याशी बनाए जाने पर ये लिखा:

राजनीति यही है कि आप नज़र आएं जनताडल यूनाइटेड के दफ्तर में और टिकट मिले कांग्रेस से..!!

आप शेरवानी वाले इन साहेब को पहचान रहे होंगे,खबर ये है कि कांग्रेस ने इनको जाले विधानसभा का कैंडीडेट बनाया है..लेकिन ये तस्वीर सदाक़त आश्रम की नहीं है ,ये तस्वीर जनता दल युनाइटेड के पटना आफिस की है..एक दिन मैंने राजद आफिस में अपना बायोडाटा जमा करने आए हुए एक उम्मीदवार से पूछा था कि क्या आपने राजद के आलावा भी किसी पार्टी में अपना बायोडाटा सबमिट किया है?वह साहेब इस बात पर गुस्सा हो गए थे,तब मैंने उनको कहा था कि जैसे हमलोग नौकरी के लिए कई जगहों पर अप्लाई करते हैं वैसे ही विधायकी के लिए कोशिश की जाती है..जाले से कांग्रेस के लिए टिकट मांगने वालों में सबसे ज़्यादा लोग जाले के लोकल ही थे,बिहार कांग्रेस के एक बड़े लीडर ने बताया कि हमने सोनिया गांधी को चिट्ठी भी लिखा था कि जाले से किसी लोकल मुस्लिम कैंडीडेट को टिकट दिया जाए…अब देखना ये है कि जाले के कांग्रेस कार्यकर्ता अपनी ताकत और ऊर्जा का इस्तेमाल इनको जीताने के लिए करते हैं या हराने के लिए..मशकूर उस्मानी के लिए मुश्किल तो ज़रूर होगा ,अगर सीट हार भी जाते हैं तो न इन्हें कोई दिक्कत है और न कांग्रेस को कोई परेशानी…अवाम को तो वहीं रहना है,हर हाल में जीना और मरना है,हां उनके नेताओं का ठिकाना बदलता रहेगा…राजनीति यही है कि आप नज़र आएं जनताडल यूनाइटेड के दफ्तर में और टिकट मिले कांग्रेस से..!!

लेकिन जब ऋषि मिश्रा ने मश्कूर अहमद उस्मानी को जिन्नावादी कहा तो तारिक इकबाल ने मिश्रा जी से थोड़ा गंभीर सवाल पूछ लिया:

मिश्रा जी से मेरा भी एक सवाल है कि महोदय यदि आप गांधी जी के सच्चे पैरोकार हैं मश्कूर उस्मानी को इस तरह जिन्नावादी क्यों कह रहे हैं?

कांग्रेस ने जाले विधानसभा से माश्कूर उस्मानी को अपना उम्मीदवार बनाया है। गुरुवार सुबह को मैं ने यहां लिखा था कि टिकट के लिए किस तरह की राजनीति होती है। वैसे भी कांग्रेस का पार्टी के नाम पर किस तरह का ढ़ांचा है और उसके साथ जुड़े बहुत से लोग कैसे काम करते हैं, और करते हैं तो क्या कांग्रेस ही के लिए करते हैं, उसका अंदाज़ा सदाकत आश्रम जाने वाले लोगों को आसानी से हो जाता है। मश्कूर उस्मानी के बारे में कहा जा रहा है कि वह कांग्रेस से पहले और भी कई पार्टियों से राब्ते में थे। मशकुर उस्मानी का टिकट फाइनल होने के बाद दरभंगा और जाले कांग्रेस के नेताओं एवं कार्यकर्ताओं के अंदर गुस्सा है जिसे वह लगातार अपनी अपनी तरह से ज़ाहिर भी कर रहे हैं। इनमें ऋषि मिश्रा भी हैं।

जाले से जनता दल यूनाइटेड के विधायक रह चुके ऋषि मिश्रा अब कांग्रेस में हैं। पिछले दिनों लगातार ऐसी खबरें आ रही थीं कि जाले से कांग्रेस के कैंडीडेट ऋषि मिश्रा ही होंगे, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। वैसे भी राजनीति में कोई नतीजा आख़री नहीं होता है। खबर ये भी है कि ऋषि मिश्रा अभी भी इस कोशिश में लगे हैं कि कांग्रेस माश्कूर उस्मानी से अपना सिंबल वापस ले ले। ये शायद अब मुमकिन नहीं है।

ऋषि मिश्रा ने शुक्रवार को अपने सोशल मीडिया पेज पर मश्कूर उस्मानी को टिकट मिलने पर अपना विरोध जताया है। गांधी की बात की है, जिन्नाह का हवाला दिया है। लाल कृष्ण आडवाणी जी की बात करते हुए ऋषि मिश्रा ने लिखा है कि भारत ने लालकृष्ण आडवाणी को भी जिन्नाह के लिए माफ नहीं किया है।

ऋषि मिश्रा ने खुद को गांधीवादी बताते हुए कांग्रेस से सवाल किया है कि आखिर कांग्रेस ने एक जिन्नावादी को क्यों टिकट दिया है। मिश्रा जी से मेरा भी एक सवाल है कि महोदय यदि आप गांधी जी के सच्चे पैरोकार हैं मश्कूर उस्मानी को इस तरह जिन्नावादी क्यों कह रहे हैं। आप पूरी स्थिति से वाकिफ हैं। किसी गांधीवादी को सच्चाई से मुंह नहीं मोड़ना चाहिए। सत्ता के लिए नहीं बल्कि नफरत की बुनियाद पर सत्ता की खातिर जिन्नाह के फोटो का पूरा प्रकरण चलाया गया था।

ऋषि मिश्रा जी ने जाले और मिथिला के हवाले से लिखा है कि यहां एक तरह की सामाजिक समरसता है और हम लोग किसी भी तरह एक जिन्नावादी को बर्दाश्त नहीं करेंगे। तो मिश्रा जी सुन लीजिए, आप जिस सामाजिक सौहार्द और समरसता की बात कर रहे हैं उसके ताने बाने को आप केवल इसलिए बिखर जाने देना चाहते हैं कि कांग्रेस ने आपको टिकट नहीं दिया?

आपने जिस जिन्नाह प्रकरण के हवाले से मश्कूर पर सवाल उठाया है वह असल में आपके अंदर कहीं रह गई वह गांठ है जिसे आपने जेडीयू में रहते हुए भाजपा से लेकर बांधा है।

तारिक इकबाल ने इससे पहले ऋषि मिश्रा के बयान पर एक और पोस्ट लिखा था:

बिहार कांग्रेस के ये चार पांच लोग किसी के नहीं हैं,मौलाना मजहरुल हक़ का दिया हुआ सदाक़त आश्रम अब इन्हीं लोगों की बपौती है…!!

ऋषि मिश्रा कह रहे हैं कि उन्होंने जेडीयू इसलिए छोड़ा था कि वह जाले से चुनाव लड़ सकें..इनके साथ बहुत खतरनाक मज़ाक किया गया है..ऋषि साहेब ऐसे मज़ाक होते रहते हैं..कोई नहीं अपने बयानों की वजह से अब आपकी जगह बीजेपी में बन ही जाएगी..आना जाना चलता रहता है..आपके जगन्नाथ मिश्रा के बेटे नीतीश मिश्रा भाजपा में बहुत मज़े काट रहे हैं..आप कहां कांग्रेस में नागेन्द्र झा क बेटे के साथ आ गए थ..जाइए उधर,बिहार कांग्रेस के ये चार पांच लोग किसी के नहीं हैं,मौलाना मजहरुल हक़ का दिया हुआ सदाक़त आश्रम अब इन्हीं लोगों की बपौती है..बाक़ी जो अवाम है उसके साथ रैयतों वाला बर्ताव ही तो आप सबको अच्छा लगता है..जाइए भाजपा में काहे आ गए थे इधर…जेडीयू में न दम घुटता था,अब तो गिरिराज साहेब का सुर भी आपसे मैच कर गया है।

जिन्नाह और उस्मानी

बात2018 की है। एएमयू की मौलाना आजाद लाइब्रेरी में गांधी जी का जीवन और समय के शीर्षक से तस्वीरों की एक प्रदर्शनी लगाई गई थी। इस तरह आयोजन एएमयू में आम है। उस फोटो प्रदर्शनी में दो तस्वीरें ऐसी थीं जिनमें महात्मा गांधी के साथ मोहम्मद अली जिन्ना भी हैं। एक तस्वीर में गांधी जी के साथ जिन्ना और सरदार वल्लभ भाई पटेल भी हैं। जाहिर है जिन्ना की एक नहीं बहुत सी तस्वीरें महात्मा गांधी के साथ होंगी। दोनों भारत के बड़े नेता थे। लेकिन आजादी मिलने से पहले ही जिन्ना ने अलग राह अपनाई, जिसके कारण भारत में एक बड़ा वर्ग उन्हें अच्छी नज़र से नहीं देखता है क्योंकि उनका मानना है कि देश के विभाजन के लिए जिन्ना ही जिम्मेदार थे। बहुत से लोग इसे आधा सच मानते हैं। खैर, गांधी के जीवन और समय को दर्शाती उस प्रदर्शनी में जिन्ना की तस्वीर पर भाजपा के स्थानीय सांसद ने सवाल उठाते हुए उसे वहां से हटाने की मांग कर डाली। यहीं से मश्कूर उस्मानी पिक्चर में आते हैं।

एएमयू छात्र संघ

जिन्ना की तस्वीर पर बहस के दौरान यह बात भी सामने आई कि पाकिस्तान के संस्थापक की एक फोटो छात्र संघ के कार्यालय में भी है और उसे हटा देना चाहिए। जब यह मांग उठी मश्कूर अहमद उस्मानी एएमयू छात्र संघ के अध्यक्ष थे।

मोदी को पत्र

PM Narendra Modi

मश्कूर अहमद उस्मानी ने एएमयू छात्र संघ के हॉल से जिन्ना की तस्वीर हटाने के सम्बंध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिख कर उनसे आग्रह किया कि वे एएमयू छात्र संघ के कार्यालय से जिन्ना की हटाने का आदेश दे। उस्मानी ने इसके साथ ही संसद और बॉम्बे हाईकोर्ट से भी जिन्ना की तस्वीर भी हटाने का आदेश दें। शनिवार, 17 अक्टूबर को कांग्रेस के प्रवक्ता संदीप सिंह सुरजेवाला ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उस्मानी के पत्र का अभी तक जवाब नहीं दिया है।

कभी नहीं रहा जिन्ना से जुड़ाव

राहुल गांधी और प्रियंका गांधी से भी दुर्व्यवहार किए जाने पर चुप रहने वाली कांग्रेस की दुखती रग पर जब गिरिराज सिंह जैसे नेताओं ने उंगली रखी तो वह तिलमिला उठी। कांग्रेस प्रवक्ता रंदीप सिंह सुरजेवाला के साथ ही पार्टी के बिहार प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल ने कहा है कि भाजपा आम लोगों का ध्यान भटकने के मकसद से अनर्गल बयान दे रही है।

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