फीस नहीं देने पर क्लास से निकालने की धमकी

अवामी न्यूज़

पटना। बिहार में इन दिनों चुनाव की गहमा गहमी है, कोरोना का भी प्रकोप जारी है। अर्थव्यवस्था का जो हाल है, वह भी सबके सामने है। क्षात्रों और उनके अभिभावक भी कोरोना काल और लॉकडाउन की मार झेल रहे हैं लेकिन स्कूलों के व्यवहार से ऐसा लगता है कि क्षात्र और उनके अभिभावक ऐसा पेड़ हैं जिन्हें हिलाने से पैसा गिरता है। शायद इसीलिए स्कूलों की तरफ से क्षात्रों को कभी क्लास से तो कभी स्कूल ही से निकालने की धमकी डालते हैं।

बिहार की राजधानी पटना स्थित एक प्राइवेट स्कूल ने तो हद ही कर डाली। स्कूल प्रशासन ने कथित ऑनलाइन क्लास के लिए बनाए गए व्हाट्सऐप ग्रूप में ऐसे बच्चों की लिस्ट डाल दी है, जिनपर फीस बकाया हैं। इस लिस्ट से पहले अंग्रेज़ी भाषा में एक नोटिस भी दिया गया है कि 23 अक्टूबर तक फीस अपडेट नहीं करने वाले बच्चों को ऑनलाइन क्लास से निकाल दिया जाएगा। ऑनलाइन क्लास और पारंपरिक क्लास में किस तरह की पढ़ाई होती है, और होनी चाहिए, इसको जानने और परखने के लिए अपने देश भारत में कोई पैमाना ही नहीं है, वर्ना बहुत से स्कूल अब तक बंद हो गए होते।

इसमें भी कोई दो राय नहीं है कि स्कूलों को भी पैसों की किल्लत का सामना करना पड़ रहा है। उन्हें टीचरों और दूसरे स्टाफ को वेतन देने के अलावा भी बहुत से दूसरे खर्च करने पड़ते हैं। इसकी व्यवस्था का मुख्य स्रोत क्षात्रों से ली जाने वाली फीस ही है। अभिभावकों को भी स्कूल फीस को उसी तरह जरूरी समझना चाहिए जैसे वे मोबाइल को रिचार्ज कराना या पोस्ट पेड मोबाइल के बिल का भुगतान करना आवश्यक है।

फीस के सम्बंध में यह भी बहुत महत्वपूर्ण बात है कि मार्च में लॉकडाउन लगने के बावजूद स्कूल एडमीशन, रीएडमीशन और न जाने कितनी तरह के सुराखों से पैसे लेने की कोशिश कर रहे हैं। सरकार को क्योंकि जनता की शिक्षा स्वास्थ्य या रोज़गार किसी से कोई मतलब नहीं है, इसलिए जनता ही को इस बारे में सोचना होगा। जनता जब सरकार को मनमानी नहीं करने देती तो फिर स्कूल कैसे मनमानी करने में सफल हो जा रहे हैं।

क्षात्रों और अभिभावकों पर दबाव बनाने की कोशिश में स्कूलों की तरफ से यह भी कहा जाता है कि उन्हें शिक्षकों और दूसरे कर्मियों का वेतन देने के अलावा बिजली पानी के बिलों का भी भुगतान करना पड़ता है। लॉकडाउन के संदर्भ में क्या यह बहुत कड़वी सच्चाई नहीं है कि शिक्षकों के वेतन कम कर दिए गए हैं, बहुत से कर्मियों की छटनी कर दी गई है, बच्चों के स्कूल नहीं आने से बिजली और पानी का बिल भी नहीं के बराबर हो गया है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *