राजद ने नीतीश कुमार से कर दी बड़ी मांग

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर दबाव बढ़ाते हुए राजद ने उनसे मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने की मांग की है।

पटना: राष्ट्रीय जनता दल के प्रदेश प्रवक्ता चित्तरंजन गगन ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा ” बिहार में कानून का नहीं, पुलिस का राज ” जैसी सख्त टिप्पणी के बाद नीतीश कुमार जी को मुख्यमंत्री पद पर बने रहने का नैतिक अधिकार नहीं है। यदि उनमें थोड़ी भी नैतिकता है तो उन्हें अविलंब अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए। ज्ञातव्य है कि सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी पटना हाई कोर्ट द्वारा दिए गए एक फैसले के खिलाफ बिहार सरकार की ओर से दायर की गई एक याचिका की सुनवाई करते हुए की है।

पटना हाईकोर्ट ने 22 दिसम्बर 2020 को एक ट्रक (दूध टैंकर) ड्राइवर को बिना केस दर्ज किए 35 दिनों तक हिरासत में रखने के मामले में बिहार सरकार को पांच लाख मुआवजा देने का आदेश दिया था। हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। बिहार सरकार की याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने शुक्रवार को सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि ऐसा लगता है कि बिहार में कानून का नहीं, पुलिस का राज है।

राजद प्रवक्ता ने कहा कि भारतीय संविधान के अनुसार विधायिका द्वारा बनाए गए कानून को लागू करने की जिम्मेदारी कार्यपालिका यानी सरकार की है, और उसके अनुरक्षण की जिम्मेदारी न्यायपालिका की है। ऐसे में जब सुप्रीम कोर्ट खुद कह रही है कि बिहार में कानून का राज नहीं है, अर्थात राज्य सरकार अपने कर्तव्यों और जिम्मेदारियों के निर्वहन में पूरी तरह से विफल साबित हो रही है तो वैसी स्थिति में मुख्यमंत्री जी को स्वयं पहल करते हुए इस्तीफा दे देना चाहिए। यदि वे स्वतः इस्तीफा नहीं देते हैं तो महामहिम राज्यपाल महोदय को अपने संवैधानिक दायित्वों का निर्वहन करते हुए स्वयं हस्तक्षेप करना चाहिए।

राजद नेता ने कहा कि पटना हाई कोर्ट द्वारा अबतक दर्जनों बार राज्य सरकार पर तल्ख टिप्पणियां की गई हैं और फटकार लगाई गई हैं। फरवरी 2020 में भी पटना हाई कोर्ट ने कहा था कि ” कानून का राज ” केवल स्लोगन रह गया है। मुजफ्फरपुर बालिका गृह कांड, पटना में जल जमाव, मुंगेर गोलीकांड, कोरोना महामारी, ऑक्सीजन की कमी, पुलिस मे बहाली, शिक्षकों की नियुक्ति, पटना-गया रोड सहित बिहार के सड़कों की स्थिति, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे विभागों की बदहाली जैसे मामलों की सुनवाई करते हुए पटना हाई कोर्ट राज्य सरकार के खिलाफ कई बार काफी गंभीर टिप्पणियां कर चुका है।

पटना हाईकोर्ट गत 4 मई को कोरोना महामारी की सुनवाई करते हुए बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था को सेना को सौंप देने तक की चेतावनी दे चुका है। सरकार के खिलाफ टिप्पणी करते हुए न्यायालय तो यहां तक कह चुका है कि जंगल राज के भी कुछ कायदे-कानून होते हैं पर इस राज को क्या कहा जाए।

राजद के प्रदेश प्रवक्ता ने कहा कि बिहार की स्थिति तो यह हो गई है कि बगैर न्यायालय के हस्तक्षेप के यहाँ कुछ होता हीं नहीं है। यहां यदि कुछ हो भी रहा है तो वह न्यायालय का योगदान है। अभी पिछले अप्रैल में सुप्रीम कोर्ट द्वारा राज्य सरकार पर 20 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया था। पर अब तो देश के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा यह कहा जाना कि बिहार में “कानून का राज नहीं पुलिस का राज है “, राज्य सरकार के खिलाफ काफी गंभीर और असाधारण टिप्पणी है। इसके बावजूद भी यदि नीतीश कुमार जी की सरकार बनी रहती है तो वह देश के संवैधानिक और लोकतांत्रिक मर्यादा के विरूद्ध होगा।

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