जन सुराज से गूंजी लोकतंत्र की जननी वैशाली की धरती
चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर राजनीतिक मैदान में उतरने के लिए जन सुराज की कल्पना समझाने निकले हैं। इस क्रम में उन्होंने कई दिन लोकतंत्र की जननी वैशाली की धरती पर गुजारे।
जागृत टीम
जन सुराज की सोच के बारे में प्रशांत किशोर ने लोकतंत्र की जननी वैशाली की धरती पर अपनी बात रखी। प्रशांत किशोर रविवार से वैशाली जिला की यात्रा पर थे। उनकी पांच दिवसीय यात्रा गुरुवार को समपन्न हुई।
मुलाकातों का दौर जारी रहा
प्रशांत किशोर ने वैशाली जिले में पांचवें और आखिरी दिन भी लोगों से मुलाकात की। उनहोंने सुबह डॉक्टरों के एक समूह के साथ जन सुराज की सोच पर अपना विचार साझा किया। इस कार्यक्रम में ऑल इंडिया डेंटिस्ट एसोसियेशन के पूर्व अध्यक्ष डॉ एस के विद्यार्थी के अलावा जिले के कई प्रसिद्ध डॉक्टर मौजूद थे। सबने एक सुर में जन सुराज की सोच को सराहा। उनहोंने प्रशांत किशोर की इस बात से सहमति जताई कि बिहार के विकास के लिए सही लोगों को सही सोच के साथ सामूहिक प्रयास करना होगा।
इस के बाद प्रशांत किशोर हाजीपुर में ही व्यापार जगत के लोगों से मिले। उनहोंने व्यापार की समस्याओं और उसके समाधान पर चर्चा की। इस कार्यक्रम का आयोजन व्यवसायी कृष्णा भगवान सोनी ने किया था।
बिहार के विकास का एक मात्र विकल्प
इस मौके पर प्रशांत किशोर ने मौजूदा राजनीतिक दलों के सुराज पर बात रखी। उनहोंने कहा कि न तो भाजपा के सुराज से कुछ हो सकता, न ही राजद और जदयू के सुराज से कुछ होगा। बिहार को विकसित बनाने के लिए जनता का सुराज ही एकमात्र विकल्प है। इसलिए जन सुराज जरूरी है।
प्रशांत किशोर ने नीतीश कुमार के कार्यकाल को दो भागों में बांटकर वस्तुस्थिति के बारे में अपना विचार रखा। उनहोंने बताया कि कैसे भाजपा और नीतीश कुमार ने 2010 के चुनाव में मिली सफलता को अपने राजनीतिक हित को साधने में लगा दिया और बिहार के विकास को तिलांजलि दे दी।
शिक्षकों के साथ चर्चा
जिला परिवर्तनकारी शिक्षक संघ के अध्यक्ष दिनेश पासवान के नेतृत्व में सैकड़ों वर्तमान और सेवानिवृत शिक्षकों ने प्रशांत किशोर से मुलाकात की। इस दौरान सब ने जन सुराज की सोच पर चर्चा की। शिक्षकों ने प्रशांत किशोर को अपनी समस्याओं से अवगत कराया। उनहोंने जन सुराज की सोच का स्वागत किया।
प्रशांत किशोर ने राजनीति पर बात करते हुए कहा कि जब नेता गद्दी पर बै जाता है तब उसे नीचे की सच्चाई का पता नहीं चलता। उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि पहले के जमाने में राजा वेश बदलकर जनता के बीच जाते थे और शासन की कमियों को पता करते थे। लेकिन आज नीतीश कुमार को लग रहा है कि बिहार में कठोर शराबबंदी है, और नीचे सब “पीके” मस्त है। शराब खुलेआम बेची और खरीदी जा रही है।