विकास की राह में जनसंख्या वृद्धि बड़ी रुकावट : संजय जायसवाल

बिहार तेजी से विकास कर रहा है, लेकिन जनसंख्या वृद्धि के कारण यह फिसड्डी है। ये बात भाजपा के बिहार प्रदेश अध्यक्ष डॉ संजय जायसवाल ने कही है।

जागृत टीम

पटना। बिहार में पिछले कुछ दिनों से जनसंख्या नियंत्रण कानून को लेकर चर्चा हो रही है। इस बीच भाजपा के बिहार प्रदेश अध्यक्ष डॉ संजय जायसवाल ने बडा़ बयान दिया है। उनहोंने कहा है कि विकास करने के बावजूद केवल जनसंख्या वृद्धि के कारण बिहार फिसड्डी दिखता है। कानून बनाने और बेटियों को पढ़ाने से जनसंख्या स्थिरीकरण संभव नहीं है।

डॉ जायसवाल ने कहा कि भारत की आबादी 464 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर है । सिर्फ 10 साल पहले यह 382 थी। वहीं बिहार की आबादी 1224 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर है। हम भारत से भी 3 गुना ज्यादा है ।

भाजपा नेता ने कहा कि हाथ पर हाथ धर कर बैठने से इसका निदान नहीं निकलेगा।

उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने देश में पहली बार बालिका साइकिल योजना चलाई थी। उस समय किसी बच्ची से पूछता था कि तुम्हें क्या करना है तो उसका जवाब होता कि नवीं कक्षा में पढ़ना चाहती है, ताकि साइकिल मिल सके। उस बालिका साइकिल योजना का अच्छा परिणाम सामने आया है। स्त्री शिक्षा की उन्नति में दो पीढ़ियों का लगने वाला समय महज दो वर्षों में पाट दिया गया।

संजय जायसवाल ने कहा कि जनसंख्या स्थिरीकरण के लिए भी योजना बनाने की जरूरत है। उनहोंने कहा कि कम बच्चे वालों को प्रोत्साहित करना होगा।

एक बच्चे के लिए प्रोत्साहन

बेतिया से सांसद डॉ संजय जायसवाल ने एक बच्चे के विभिन्न प्रोत्साहन का सुझाव दिया। उनहोंने कहा कि पहले दो बच्चों के लिए 6000 दिए जाते हैं। एक बच्चे वाले को भी बड़ी आर्थिक सहायता दी जा सकती है। इसके साथ ही पूरे परिवार का बीमा कराया जा सकता है। बिहार के हर स्कूल में पहले एडमिशन का अधिकार एक बच्चे वाले परिवार को मिले। इस तरह की विभिन्न प्रोत्साहन योजनाएं चलाई जा सकती हैं। इससे जनसंख्या स्थिरीकरण का लक्ष्य तेजी से हासिल किया जा सकता है।

बिहार की रफ़्तार तीन गुना

उन्होंने कहा कि भारत जनसंख्या स्थिरीकरण प्राप्त कर चुका है। बिहार आज भी तीन गुना रफ्तार पकड़े हुए है। इसे रोकने की कोई योजना नहीं बन रही है। बिहार में जितने नए अस्पताल और स्कूल बनते हैं उससे ज्यादा बच्चे पैदा होते हैं।

दक्षिण भारत के राज्य

भाजपा नेता ने दावा किया कि दक्षिण भारत के राज्यों ने 1980 के दशक में ही जनसंख्या स्थिरीकरण प्राप्त कर लिया था। वहां कोई विकास होता है तो वह राज्य के मानकों को बेहतर करता है। बिहार इतना विकास करने के बाद भी केवल जनसंख्या वृद्धि के कारण फिसड्डी दिखता है।

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